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पेन ड्राइव क्या है? और कैसे काम करता है?

पेन ड्राइव क्या है? और कैसे काम करता है?
पेन ड्राइव को फ़्लैश ड्राइव या USB ड्राइव भी बोला जाता है। यह एक डाटा स्टोरेज डिवाइस होती है। यह आपके किसी भी सिस्टम में आसानी से कनेक्ट हो जाती है और आप इसे आसानी से हटा भी सकते है। हार्ड ड्राइव ऑप्टिकल डिस्क की तुलना में बहुत छोटी होती है। इसका वजन लगभग 30 ग्राम से कम होता है और यह बाजार में 2000 ई. में उपलब्ध हो गयी थी। 

चलिये दोस्तों जानते है पेन ड्राइव क्या है और पेन ड्राइव कैसे काम करता है?
पेन ड्राइव की स्टोरेज शुरुआत में बहुत कम होती थी। पर समय के साथ इसकी स्टोरेज को बढ़ाया गया और मूल्यों को कम कर दिया गया है जिससे हर व्यक्ति इसको आसानी से खरीद सकें। अगर स्टोरेज की बात करें तो 2018 ई. में 2 Terabytes की USB मार्केट में आ चुकी थी। आप इन ड्राइव में अपनी कोई भी जरुरी जानकारी को एक जगह से दूसरी जगह तक आसानी से ले जा सकते है। पेन ड्राइव का इस्तेमाल आमतौर पर किसी भी डाटा को स्टोर करने के लिए, किसी डाटा के बैकअप के लिए या फिर किसी डाटा को एक सिस्टम से दूसरे सिस्टम तक पहुँचाने के लिए किया जाता है। अगर आप इनको CD से Compare करेंगे तो इनका साइज बहुत छोटा होता है पर इनकी स्पीड और क्षमता बहुत ज्यादा होती है। 

How Does Pendrive Work?
पेन ड्राइव, फ़्लैश मेमोरी के माध्यम से किसी भी डाटा को स्टोर करती है। फ़्लैश मेमोरी किसी भी डाटा को स्टोर करने के लिए या फिर पुनः प्राप्त करने के लिए EEPROM का सहारा लेती है। EEPROM का पूरा नाम Electrically Erasable Program Read Only Memory होता है। यह कंप्यूटर की Non - Volatile मेमोरी की तरह ही होता है जो किसी भी कार्ड में माइक्रो कंट्रोलर की तरह काम करती है। EEPROM के माध्यम से पेन ड्राइव की स्पीड और डाटा को Compress करके छोटी जगह में फिट किया जाता है। पेन ड्राइव नॉन वोलेटाइल होती है। इसका मतलब इसे किसी भी बैटरी बैकअप की कोई जरुरत नहीं होती है। 

आप इनमें किसी भी सिस्टम से किसी भी डाटा को आसानी से स्टोर और ट्रांसफर कर सकते हैं। कोई भी कंप्यूटर यूजर पेन ड्राइव का इस्तेमाल आसानी से कर सकता है क्योंकि इसे अलग से किसी भी पोर्ट की आवश्यकता नहीं होती हैं। आप USB Port के माध्यम से पेन ड्राइव को अपने सिस्टम के साथ Plugin कर सकते हैं। USB Port आपके सिस्टम के पीछे हो सकता है या फिर आगे हो सकता है। 
जैसे ही आपका सिस्टम आपकी लगायी हुई ड्राइव को डिटेक्ट करेगा तो आप उसे अपने सिस्टम में My Computer में देख सकते हैं। इसके लिए आपको कोई भी दूसरे सॉफ्टवेयर की या फिर किसी फाइल सिस्टम की आवश्यकता नहीं होती है। यह पेन ड्राइव Plug and Play डिवाइस होती है। पेन ड्राइव पर आप डबल क्लिक कर उसे आसानी से खोल सकते हैं और अगर आप अपने सिस्टम से कोई भी डाटा ट्रांसफर करना चाहते है तो आसानी से कर सकते हैं। इसमें आपका डाटा एकदम सुरक्षित रहता हैं। 

How to Eject Pendrive?
अगर आप अपने सिस्टम से पेन ड्राइव को निकालना चाहते है तो आप उसे कभी भी एकदम से न निकाले। इसके लिए पहले आपको अपने फाइल मैनेजर में जाना होगा। वहाँ पर आपको अपनी USB दिखाई देगी। उस पर राइट क्लिक करें और इजेक्ट करें। उसके बाद बाद आप अपनी USB को आसानी से निकाल सकते हैं। 
अगर आप अपनी USB Drive को एकदम से निकाल लेंगे तो आपका डाटा करप्ट होने का खतरा होता है या फिर आपके द्वारा स्टोर किया गया डाटा खत्म हो सकता है या फिर आपकी ड्राइव भी खराब हो सकती है तो इसके लिए आपको कभी भी ड्राइव को एकदम से नहीं निकलना चाहिए ताकि आपके डाटा को कोई खतरा न हो।      

History of Pendrive
पेन ड्राइव एक फ़्लैश मेमोरी की तरह काम करता है और इसका अविष्कार 1980 में Fujio Masuoka के द्वारा किया गया था। Fujio Masuoka एक जापानी इंजीनियर थे जिन्होंने Toshiba और Tohoku University में काम किया था। उसके बाद ये Unisantis Electronics में चीफ टेक्निकल ऑफिसर बने थे। इसे फ़्लैश मेमोरी का अविष्कारक माना जाता है। इन्हे इनके काम के लिए कई तरह के अवार्ड से सम्मानित किया गया था। जैसे IEEE Morris N. Liebman Memorial Award इत्यादि। 

5 अप्रैल 1999 को Amir Ban, Dov Moran और Oran Ogdan के द्वारा USB का अविष्कार करने का दावा किया गया जो एक इजरायली कंपनी में काम करते थे। इसके बाद इजरायली कंपनी ने इसे पेटेंट कराने के लिए एप्लीकेशन भरा और 2000 ई. में इस कंपनी को USB बनाने की परमिशन मिल गयी और इस तरह से इन्हे भी पेन ड्राइव का अविष्कारक माना जाता है। 
1999 ई. में Shimon Shmueli ने भी यह कहा कि उनके द्वारा USB का अविष्कार किया गया है। Shimon Shmueli, IBM Company में काम करते थे और TREK 2000 International के द्वारा ड्राइव को मार्किट में बेचा गया था। यह कंपनी सिंगापूर की है। आज तक बहुत सारे Dispute हो चुके हैं कि आखिर पेन ड्राइव का अविष्कार  किसके द्वारा किया गया था। 

USB Drive को पेन ड्राइव भी कहा जाता है क्योंकि इसका साइज बहुत छोटा होता है। पेन ड्राइव ज्यादा से ज्यादा कुछ ही इंच बड़ी होती है। इस तरह की छोटी ड्राइव ज्यादा से ज्यादा 256 MB का डाटा अपने अंदर स्टोर कर सकती है या फिर कुछ मॉडल की पेन ड्राइव कई GB तक डाटा अपने अंदर स्टोर कर सकती है। 

How to Protect Pen Drive with Password Protection?
आज बहुत से लोग USB Drive का इस्तेमाल किसी भी जानकारी को एक जगह से दूसरी जगह तक पहुँचाने के लिए करते है क्योंकि यह केवल आपके डाटा को स्टोर ही नहीं करती बल्कि इसके माध्यम से आप किसी भी डाटा को दूसरे लोगो तक शेयर कर सकते हैं। 
जब आप कोई भी डाटा किसी को भेज रहे होते है तो USB की security भी बहुत जरुरी होती है क्योंकि यदि आपका USB किसी गलत हाथों में चली गयी तो वो आपकी जानकारी का गलत उपयोग भी कर सकते है। यदि आप अपनी पेन ड्राइव को सुरक्षित रखना चाहते हैं तो आप बिटलॉकर के माध्यम से आसानी से secure कर सकते हैं। 
*इसके लिए सबसे पहले आपको अपने सिस्टम के USB Port में पेन ड्राइव को लगाना होगा। 
*फिर आपको my computer में जाकर USB Drive पर right click करना होगा। 
*इसके बाद आप बिटलॉकर को on करें और अपना password डालें। 
*इसे फिर से confirm करे। 
इससे आपकी पेन ड्राइव पूरी तरह से secure हो जाएगी और आप आसानी से अपनी कोई भी जानकारी दूसरों के साथ शेयर कर सकते हैं। 
बिटलॉकर एक ऐसी टेक्नोलॉजी होती है जो आपके डाटा को सुरक्षित रखने के काम में आती है। जब आपके सिस्टम में बिटलॉकर की सुरक्षा होती है तो आपके सिस्टम को हानि होने का खतरा नहीं होता हैं। यदि आपके सिस्टम पर कोई बिना आपकी अनुमति के आना चाहता है तो उसे पहले आपके द्वारा बनाया गया password डालना होगा। यदि उसे वह पासवर्ड नहीं पता तो वो आपके सिस्टम पर नहीं जा सकता है।      

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